हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "अल-ख़िसाल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال امیر المؤمنین علیه السلام:
ما زالَتْ نِعمَةٌ وَلا نَضارَةُ عَيشٍ إلاّ بِذُنوبٍ اجتَرَحُوا، إِنَّ اللّهَ لَيسَ بِظَلاَّمٍ لِلعَبيدِ.
अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:
ज़िंदगी में कोई बरकत या ताजगी (लोगों से) उनके अपने गुनाहों के अलावा और किसी वजह से नहीं छीनी जाती। बेशक, अल्लाह अपने बंदों पर ज़रा भी ज़ुल्म नहीं करता।
अल-ख़िसाल, पेज 624, हीदस 10
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